जिस्म पर खरोच दे दोगे तो ..
नमक की तरह हो गयी है ज़िंदगी ..
वो नब्ज नहीं फिर थमने दी, ..
कुछ बातें करके वो हमें रुला के चले गए, हम न भूलेंगे यह एहसास दिला के ..
मैं आईनों से मायूस लौट आया ..
“आप एक इंसान को कभी धोखा ..
ये नजर नजर की बात है कि किसे ..
मैं बन जाऊं रेत सनम,, तुम ..
खुद को खोने का पता तक न चला ..
काश कोई हम पर भी इतना प्यार ..