Two Line Alfaaz Shayari
बदमाम हो गए है हम तेरे इश्क़ में इस कदर, अब पानी भी पियें तो लोग शराबी कहते है। वो बदला हुआ कहता है मुझे, जो पहले जैसा खुद नही रहा अब। Alfaaz Shayari आज फिर आप की कमी सी है, कुछ देर
Villain Shayari
Villain Shayari in Hindi पंगा लेना गोली की रफ़्तार से, पर कभी मत टकराना खलनायक की तलवार से। हमारी Personality को पढ़ा मत करो दोस्त, हमें समजने में तुम्हारी Dictionary कम पड़ जायेगी। शैतान की एक खासियत है… अपने ही जनाज़े में शमील
Waseem Barelvi Shayari
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे Shayari Waseem Barelvi दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता उसे समझने का कोई तो रास्ता निकले मैं चाहता
Zakhmi Dil Shayari
Zakhmi Shayari Hindi Dilक्या रखा है सुनने और सुनाने में, किसी ने कसर नहीं छोड़ी दिल दुखाने में. मौत पर भी है यकीन उन पर भी ऐतबार है, देखते है पहले कौन आता है… दोनों का इन्तजार है. Dil Zakhmi Shayari दिल ना-उमीद
Zakir Khan Shayari
ZAKIR KHAN SHAYARI ON LOVE अपने आप के भी पीछे खड़ा हु मैं ज़िंदगी कितना धीरे चला आ रहा है मुझे जगाने जो और भी हसीं होके आते थे उन खवाबो को सच समझकर सोया मैंने। हालत की बंजर ज़मी फार कर निकला
Black Day Shayari
ऐसी भारत मां के बेटे मान गंवाना क्या जाने मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जाने फौजी भी कमल के होते है छोटे बटुआ में परिवार रखते है और दिल में हिंदुस्तान रखते है Black Day Fauji bhi Kamal karte hai
Jaun Elia Shayari
उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे बे-क़रारी सी बे-क़रारी है हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गई एक हुनर हैं जो कर गया हुँ मैं, सबके दिल से उतर गया
Allama Iqbal Shayari
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा तिरे सामने आसमाँ और भी हैं मस्जिद तो बना दी शब भर में ईमाँ की हरारत वालों ने मन अपना पुराना पापी
Romantic Love Shayari
Romantic Boyfriend Love Shayari साड़ी के पल्लू को कमर में यू न सरेआम दबाया कर, कमर का तो पता नही… दिल हमारा लचक जाता हैं। Saree ke pallu ko kamar me Yu na sareaam dabaya kar, Kamar ka toh pata nhi… Dil hamara
Urdu Shayari Text
نہیں ہـوگا کمـزور کبھـی تمہـارا کبـھی ہمـارا رشـتہ یہ تـو وقت کی سـازش کبھی تـم مصـروف کبھی ہـم Nahi hoga kamzoor kabhi tumhara humara rishta Ye to waqr ki saazish hai kabhi tum masroof kabhi hum زخم جدائی کے دھیرے دھیرے بھر جاتے