कान्हा काम्बोज की शायरी (Kanha Kamboj Shayari) भावनाओं, विचारों और अभिव्यक्तियों का एक सुंदर मिश्रण है जो इसके पाठकों के दिलों को मोहित करती है। अपने मार्मिक शब्दों और गीतात्मक शैली के साथ, कान्हा काम्बोज ने कविता की दुनिया में सफलतापूर्वक अपने लिए एक जगह बनाई है। चाहे वह प्यार हो, दर्द हो, या जीवन की जटिलताएं हों, उनकी शायरी जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के साथ गूंजती है। अपने छंदों के माध्यम से, वह एक संबंध बनाने और अपने दर्शकों में गहरी भावनाओं को जगाने में कामयाब रहे हैं। कान्हा काम्बोज की शायरी केवल शब्दों का संग्रह नहीं है; यह मानव अनुभव का प्रतिबिंब है, जो उन सभी को सांत्वना और प्रेरणा प्रदान करता है जो इसकी गहन गहराई में जाते हैं।
घर की दिवार पर नाख़ून से लिखेंगे
तेरी वेबफ़ाई हम सुकून से लिखेंगे
खत स्याही से लिखे तो फॉर देती हो
इसबार खत तुम्हे खून से लिखेंगे।
सारी रात उसे छूने से डरता रहा
मैं बेबस, बेचैन बस करवटें बदलता रहा
हाथ तो मेरा ही था उसके हाथ में
बस बात ये है कि जिक्र किसी और करता रहा
kanha kamboj shayari in hindi
माना कि हम अदब से बात नहीं करते
मगर यह मानो मतलब से बात नहीं करते
यह नर्म लहजा, प्यारी बातें तेरे लिए हैं
हम इस लहजे में सबसे बात नहीं करते
सुना है तेरी चाहत में मर गए लोग
यानी बहुत कुछ बड़ा कर गए लोग
मेरे लहजे से दब गयी वो बात
तेरे हक में कही थी मैंने जो बात
तेरी एक नहीं से खामोश हो गया मैं
कहने को तो थी मुझ पर सौ बात
गलती मेरी ये रही तुझे सर पर बैठा लिया
वरना कदमों लायक भी कहां
तेरी औकात रही है