Ashutosh Rana Shayari
देश चलता नहीं, मचलता है,
मुद्दा हल नहीं होता सिर्फ उछलता है,
जंग मैदान पर नहीं, मीडिया पर जारी है
आज तेरी तो कल मेरी बारी है।
ashutosh rana shayari in hindi
नारी कल भी भारी थी
नारी आज भी भारी है,
पुरूष कल भी आभारी था
पुरूष आज भी आभारी है.
ashutosh rana poem
देहाती आदमी तो चाँद पर पहुँच जाता है,
इस जमीन के चाँद को पाने में क्या कठिनाई है?
हम श्री राम के चरण पूजक तो हो गये,
लेकिन उनके आचरण को नहीं पकड़ पाये।
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