माँ के लिए शायरी इन हिंदी
मुझे माफ़ कर मेरे या खुदा
झुक कर करू तेरा सजदा
तुझसे भी पहले माँ मेरे लिए
ना कर कभी मुझे माँ से जुदा
माँ की बूढी आंखों को अब कुछ दिखाई नहीं देता
लेकिन वर्षों बाद भी आंखों में लिखा हर एक अरमान पढ़ लिया
तुम क्या उसकी बराबरी करोगे
वो तुफानो में भी रोटिया सेक देती है
और वो माँ है जनाब डरती नहीं है
मुस्किलो को तो चूल्हे में झोक देती है
नहीं समझ पाटा इस दिखावे से क्या मिल जाता है
वो हाथ पर माँ खुदवाकर वृद्धाश्रम मिलने जाता है
सुना – सुना सा मुझे घर लगता है
माँ नहीं होती तो बहुत डर लगता है
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी
डांट कर बच्चो को खुद अकेले में रोटी है
वो माँ है साहब जो ऐसी ही होती है
काम से घर लौट कर आया तो सपने को क्या लाए,
बस एक मां ने पूछा बेटा कुछ खाया कि नहीं।
कभी चाउमीन, कभी मैगी, कभी पीजा खाया लेकिन,
जब मां के हाथ की रोटी खायी तब ही पेट भर पाया।