खुद को खोने का पता तक न चला
किस को पाने मैं तनहा गुजर गए
हजारो महफिले हैं और लाखों मेले हैं,
लेकिन जहाँ तुम नही,
वहाँ हम बिलकुल अकेले हैं।
अपने हसीन होंठों को किसी परदे में छुपा लिया करो,
हम गुस्ताख लोग हैं नज़रों से चूम लिया करते हैं……..!!!
तु मिल गई है तो मुझ पे नाराज है खुदा,
कहता है की तु अब कुछ माँगता नहीं है…..!!!
पूछते थे ना कितना प्यार है हमें तुम से,
लो अब गिन लो… ये बूँदें बारिश की……!!!
रोज वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने को,
मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है किस्मत मेरी।
मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है किस्मत मेरी।

जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे
भुलादे मुझको मगर,
मेरी उंगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे
भुलादे मुझको मगर,
मेरी उंगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे
– rahat indori
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर, मगर हद से गुजर जाने का नईं
सितारें नोच कर ले जाऊँगा, मैं खाली हाथ घर जाने का नईं ,
वबा फैली हुई है हर तरफ, अभी माहौल मर जाने का नईं
वो गर्दन नापता है नाप ले, मगर जालिम से डर जाने का नईं।।
– Rahat Indori