राहत इंदौरी शायरी हिंदी
Hindi Shayari, Shayari Sep 01, 2022

अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं,
पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं||
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे,
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते!!
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।
कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
मेरे हुजरे में नहीं, और कंही पर रख दो,
आसमां लाए हो, ले आओ, ज़मीन पर रख दो
अरे यार कहां ढूंढने जाओगे हमारे कातिल
आप तो कत्ल का इल्ज़ाम हमी पर रख दो
mere hujare mein nahin, aur kanhee par rakh do,
aasamaan lae ho, le aao, zameen par rakh do
are yaar kahaan dhoondhane jaoge hamaare kaatil
aap to katl ka ilzaam hamee par rakh do
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
toofaanon se aankh milao, sailaabon par vaar karo
mallaahon ka chakkar chhodo, tair ke dariya paar karo
उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है
बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं
us aadamee ko bas ik dhun savaar rahatee hai
bahut haseen hai duniya ise kharaab karoon
तूफ़ानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पे वार करो
मल्लाह का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
फूलों की दुकानें खोलो, ख़ुशबू का व्यापार करो
इश्क़ खता है, तो ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो
toofaanon se aankh milao, sailaabon pe vaar karo
mallaah ka chakkar chhodo, tair ke dariya paar karo
phoolon kee dukaanen kholo, khushaboo ka vyaapaar karo
ishq khata hai, to ye khata ek baar nahin, sau baar karo
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते है
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं
जो ये दीवार का सुराख है साज़िश है लोगों की,
मगर हम इसको अपने घर का रोशनदान कहते हैं
ham apanee jaan ke dushman ko apanee jaan kahate hai
mohabbat kee isee mittee ko hindustaan kahate hain
jo ye deevaar ka suraakh hai saazish hai logon kee,
magar ham isako apane ghar ka roshanadaan kahate hain
कल तक दर दर फिरने वाले,
घर के अंदर बैठे हैं और
बेचारे घर के मालिक, दरवाजे पर बैठे हैं,
खुल जा सिम सिम, याद है किसको,
कौन कहे और कौन सुने?
गूंगे बाहर सीख रहे हैं, बहरे अंदर बैठे हैं
kal tak dar dar phirane vaale,
ghar ke andar baithe hain aur
bechaare ghar ke maalik, daravaaje par baithe hain,
khul ja sim sim, yaad hai kisako,
kaun kahe aur kaun sune?
goonge baahar seekh rahe hain, bahare andar baithe hain
जुबां तो खोल, नज़र तो मिला , जवाब तो दे,
मै कितनी बार लूटा हूँ, मुझे 🧾 हिसाब तो दे,
तेरे बदन की लिखावट में है उतार-चढाव
मैं तुझको कैसे पढ़ूँगा, मुझे किताब तो दे।
हौसले ज़िंदगी के देखते हैं,
चलिये कुछ रोज जी के देखते हैं,
नींद पिछली सदी की जख्मी है,
ख्वाब 👁️ अगली सदी के देखते हैं।