जख्म ही देना तो पूरा जिस्म तेरे हवाले था
बे रहम तूने वार क्या वो भी दिल ही वार क्या
नज़र और नसीब में भी क्या इत्तफ़ाक़ है
नज़र उसे ही पसंद करती है जो नसीब में नही होता
कितना मुश्किल है मोहब्बत की कहानी लिखना
जैसे पानी से पानी पे पानी लिखना
तुझे जब देखता हूँ तो खुद अपनी याद आती है,
मेरा अंदाज़ हँसने का… कभी तेरे ही जैसा था।
बेताब हम भी थे दर्द जुदाई की कसम
रोता वो भी होगा नज़रें चुरा चुरा कर
रख लो दिल में संभाल कर थोड़ी सी याद मेरी
रहे जाओ गए जब तनहा तो काम आएंगे हम
“कुछ खोने का दर्द कुछ ना पा सकने के दर्द से कहीं ज्यादा होता है।”
“इंसान वही है जो दूसरों के दर्द को भी महसूस करें।”
ख़ुशी और तकलीफ दोनों का ही ज़िंदगी में बराबर हिस्सा है।
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
ये सोचकर की कोई अपना होता तो रोने ना देता!!
जरा सी गलतफहमी पर
न छोड़ो किसी अपने का दामन
क्योंकि जिंदगी बीत जाती है
किसी को अपना बनाने में
आँसू भी आते हैं और
दर्द भी छुपाना पड़ता है
ये जिंदगी है साहब यहां
जबरदस्ती भी मुस्कुराना पड़ता है।
जहर की भी जरुरत नहीं पड़ी
हमें मारने के लिए, तुम्हारे ऐसे
बर्ताव ने ही हमें मार डाला।
दुआ करना दम भी उसी
दिन निकले,
जिस दिन तेरे दिल से हम
निकले
जब मैं डूबा तो समुन्दर को भी हैरत हुयी
अजीब शख्स है किसी को पुकारता भी नहीं!
मैं फिर से निकलूंगा तलाश ए-जिन्दगी में,
दुआ करना दोस्तो इस बार किसी से इश्क ना हो।
दिल अमीर था और मुकद्दर गरीब था..
अच्छे थे हम मगर बुरा नसीब था..
लाख कोशिश कर के भी कुछ ना कर सके हम..
घर भी जलता रहा और समंदर भी करीब था।
सादगी इतनी भी नहीं है अब बाकी मुझमें,
कि तू वक़्त गुज़ारे और मैं मोहब्बत समझूं।
जिंदगी हमारी यूं सितम हो गई
खुशी ना जानें कहां दफन हो गई,
लिखी खुदा ने मुहब्बत सबकी तकदीर में,
हमारी बारी आई तो स्याही खत्म हो गई!