कुछ बातें करके वो हमें रुला के चले गए,
हम न भूलेंगे यह एहसास दिला के चले गए,
आयेंगे कब वो अब तो यह देखना है उम्र भर,
बुझ रही है आग जिसे वो जला कर चले गए।
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँख में हमको भी इंतज़ार दिखे।
ये जो पत्थर है आदमी था कभी,
इस को कहते हैं इंतज़ार मियां।
रात क्या होती है हमसे पूछिए,
आप तो सोये सवेरा हो गया।
हर आहट पर साँसें लेने लगता है,
इंतज़ार भी भला कभी मरता है।
झुकी हुई पलकों से उनका दीदार किया,
सब कुछ भुला के उनका इंतजार किया
वो जान ही न पाए जज्बात मेरे,
मैंने सबसे ज्यादा जिन्हें प्यार किया।
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हें,
बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूँढता है खामोशी से तुझे।
दिन भर भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के,
न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है।
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी,
इंतज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे।
इंतजार रहेगा तु आ ना आ,इरादे का पक्का हूँ ऊपर से आशिक भी तेरा हूँ.
सीने से लगा के सुन वो धड़कन जो तुझसे मिलने के इंतजार में है
अच्छे वक़्त का इंतजार हम नही करते
हम तो बुरे वक़्त को भी अच्छे मे बदलने की औक़ात रखते है.
किसी के इन्तेजार की तलब जरूरी है.
वर्ना वक्त गुजरता जरूर है कटता नही
शाम कब की ढल चुकी है तेरे इन्तज़ार में
अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बहुत है